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लेखनी कहानी -13-Jan-2022 अंत्याक्षरी प्रतियोगिता

भाग 3 



हमारा नाम प्रथम ग्रुप में था और उस अलवर वाली लड़की का नाम द्वितीय ग्रुप में आया । अब प्रतियोगिता प्रारंभ होने की घोषणा हो चुकी थी । हमारा मन उसी तरह घबरा रहा था जिस तरह एक होशियार से होशियार विद्यार्थी का भी घबराता है जब वह परीक्षा देने जाता है । हमने मन ही मन हमारे सारे देवी देवताओं और पुरखों को याद किया और उनसे कृपा मेहरबानी बरसाने का मन ही मन आग्रह किया । 


हॉल में बहुत शोर हो रहा था । चूंकि इतना बड़ा कार्यक्रम उस छोटे से शहर में हो रहा था तो शायद लोगों की उत्तेजना, उत्साह या उत्कंठा रही होगी जिसके कारण सब लोग शोरगुल मचा रहे थे । 


प्रतियोगिता का प्रथम राउंड चालू हो गया । इस राउंड में सीधे सीधे गाना होता है इसलिए सब लोगों ने अपनी बारी पर गाना सुना दिया । हमारी बारी आई तो उस समय हमारा पुत्र थोड़ा मचल रहा था और हमारा ध्यान उसे संभालने में था । हमारी धर्मपत्नी वैसे तो बहुत सारे गाने जानतीं हैं और आवाज भी भगवान ने बहुत सुन्दर बख्शी है उनको । लेकिन उन्होंने कभी सार्वजनिक रूप से कुछ गाया‌ नहीं था तो शायद इसका यह प्रभाव हुआ कि उनके श्री मुख से एक भी शब्द नहीं निकला । मैं जब तक शेखर को मना पाता तब तक देर हो चुकी थी और हमारा गाने का समय समाप्त हो चुका था । हमने बच्चे का हवाला भी दिया लेकिन आयोजक नहीं माने । हमसे अगले वालों को मौका मिल गया । हम बहुत नर्वस हुए । श्रीमती जी पर थोड़ी झुंझलाहट भी आई कि वो गाना नहीं गा सकीं  मगर सुप्रीम कोर्ट से कुछ कह भी नहीं सकते हैं ना । 


हालात को देखकर

हमने अपनी थोड़ी योजना बदली । शेखर को श्रीमती जी को सुपुर्द किया और फिर मैदाने जंग में पूरे मुस्तैद होकर बैठ गये । 


द्वितीय राउंड प्रारंभ हो गया । इसमें एक शब्द दिया गया था जिस पर हमें गाना था । हमें जो शब्द दिया गया था वह "छतरी" था । हमने यह गीत गाया 


छतरी ना खोल उड़ जायेगी हवा तेज है 


हे खोलने दें , भीग जायेंगे , बारिश तेज है ।


हम दोनों को ही मेल /फीमेल का गाना गाना था लेकिन जैसा कि मैंने बताया श्रीमती जी भीड़ का प्रैशर झेल नहीं पाई इसलिए मुझे ही दोनों का हिस्सा गाना पड़ा । इस राउंड में कम से कम दो बार बाजी आनी थी । दूसरी बाजी में शब्द था "फूल" । सबसे सुंदर गीत गाया था हमने


फूल तुम्हें भेजा है खत में। पूरा हाल तालियों से गूंज उठा ।


इस राउंड की समाप्ति पर थोड़ी राहत की सांस ली और इससे मेरा आत्म विश्वास भी बढ़ गया । अब तीसरा राउंड शुरू हुआ । इस राउंड में एक सिचुएशन दी जाती थी जिस पर गाना गाना था । हमें पहली बार में जो सिचुएशन दी गई थी वह थी कि एक प्रेमिका रूठ कर जा रही है उसे मनाना है, इस सिचुएशन पर हमें एक गीत गाना था। मैंने गाना शुरू किया 


ओ मेरी महबूबा , महबूबा महबूबा


तुझे जाना है तो जा तेरी मर्जी मेरा क्या 


हम तब तक अपनी लय में आ चुके थे । मुखड़ा मुखड़ा गाया था बस । यह गीत और हमारी गायकी आयोजकों और श्रोताओं को इतनी भायी कि हमें कहा गया कि अगर यह गाना पूरा आता है तो पूरा गाओ । हम तो इसके भी प्रोफेसर ठहरे। हमें नहीं आयेगा तो किसको आयेगा ? सो पूरे मनोयोग से पूरा गाना सुनाया । एक मिनट तक हॉल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंजता रहा । हम अब पूरी लय में आ चुके थे । हमारा आत्मविश्वास अब चरम पर पहुंच गया था । 


इस प्रकार दूसरी बार में पत्नी के मैके जाने पर गीत गाना था । उसके लिए सबसे फिट गाना था मेरे पास " रामदुलारी मैके गई , बीवी प्यारी मैके गई, अरे, खटिया हमरी खड़ी कर गई ओ भैया " । समां बंध गया था । 


अब चौथा राउंड धुन वाला था । वहां पर उपस्थित संगीत की एक टीम किसी गाने की धुन बजायेंगी जिसे पहचान कर सब प्रतिभागियों को गाना गाना था । पहली बार में जो धुन हमें दी गई वह थी " ये मेरा दीवानापन है या मुहब्बत का सुरूर" । जिसमें मुझे कोई परेशानी नहीं हुई । अगली बार की धुन शोरगुल के कारण सुनाई नहीं दे सकी इसलिए मैं उसे समझ नहीं पाया ।  इस बार हमें अंक नहीं मिले । थोड़ी हताशा हुई और भगवान से प्रार्थना कर प्रसाद  भी बोल दिया । जैसा कि सभी करते हैं ।


अब

अंतिम राउंड में टी वी पर गाना दिखाया जाना था जिसकी आवाज म्यूट की हुई थी उसे पहचान कर गाना था । पहली बार में जो गाना दिखाया वह बेटा फिल्म का " कोयल सी तेरी बोली " था जो उन दिनों में चली चली थी । यों गाना हमने खूब सुना था पर इसे कभी देखा नहीं था इसलिए थोड़ा कंफ्यूजन भी था । 


पर यहां से भाग्य पलटना शुरू होता है । लोगों की सहानुभूति हमारे साथ हो गई थी । मेरे सामने एक छोटा सा बालक बैठा था । उसने धीरे से कहा "अंकल, कोयल सी तेरी बोली" । बस , हिंट मिल गया और हमने वह गाना सुना दिया । इसी प्रकार दूसरी बार का गाना भी सुना दिया गया । और इस प्रकार पहले ग्रुप की प्रतियोगिता संपन्न हुई । 


दूसरे ग्रुप की प्रतियोगिता प्रारंभ हुई । इसमें हम लोग दर्शक बनकर बैठे थे । सही मायने में इस कार्यक्रम का आनंद एक दर्शक के रूप में ही लिया जा सकता है । प्रतिभागी बनते ही सांस गले में अटक जाती है । मेरा सारा ध्यान अलवर वाली टीम पर ही था ।  इस ग्रुप में अलवर वाली टीम निर्विवाद रूप से सबसे बेहतर उभर कर सामने आई और संभावित विजेता भी लग रही थी । वह लड़की काफी बुद्धिमान और खूबसूरत आवाज की मलिका थीं । 


अब परिणामों का इंतजार था कि वो कौन सी पांच भाग्यशाली टीम होंगी जो फाइनल में पहुंचेंगी । अलवर वाली टीम प्रथम स्थान पर थीं । श्रीमती जी को पक्का विश्वास हो गया था कि अपना नाम पांच में नहीं आयेगा लेकिन मेरा गणित कह रहा था कि हमारा नाम पांचवें स्थान पर आना चाहिए । और वही हुआ । हम पांचवें स्थान पर थे और फाइनल राउंड के लिए चुन लिये गये थे । हमारे विद्यार्थियों ने खूब तालियां बजाकर हमारी होंसला अफजाई की । मुझे बड़ा आनंद आ रहा था कि कॉलेज में परीक्षाओं से पहले हम लोग विद्यार्थियों को खूब मोटिवेट करते हैं । आज यहां पर विद्यार्थी हमको मोटिवेट कर रहे थे। वक्त वक्त की बात है । लेकिन मोटिवेशन का असर तो होता है ।


इस राउंड में पिछले राउंड के नंबर नहीं जुड़ने वाले थे । अतः हमारे लिए यह एक सुनहरा अवसर था । अब शून्य से शुरुआत करनी थी । पांचों टीमें बराबर की नजर आ रही थीं । काफी टफ कंपिटीशन होने वाला था अब । इसलिए अब हमें संभल कर खेलना था । 


पहला राउंड आसानी से निपट गया । सबके अपने अपने नंबर आ गये थे । द्वितीय राउंड शब्द वाला था । हमें शब्द मिला "चोटी" । उस समय यह गाना बहुत लोकप्रिय था 


काली तेरी चोटी है परांदा तेरा लाल नी 


रूप की ओर रानी तू परांदे नूं संभाल नी 


किसी मनचले का तुझ पे आ गया जो दिल 


होगी बड़ी मुश्किल ।


मैंने पूरी लगन और  बड़ी शिद्दत के साथ इसे गाया । फीमेल पार्ट के लिए जब माइक श्रीमती जी को दिया तो जैसा कि मैंने बताया , वो नर्वसनैस का शिकार हो गई थीं इसलिए नहीं गा सकीं । गीत मुझे ही पूरा करना पड़ा । माशाअल्लाह हमारी आवाज भी कम नहीं थी पूरा हॉल झूमने लगा था । आयोजकों ने इस गीत को भी पूरा सुनाने का आग्रह किया और हमने एक अंतरा सुना दिया । पूरा हॉल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा था । अब जनता की पूरी सहानुभूति हमारे साथ में थी। 


प्रतियोगिता चलती रहीं । अब हमने हमारी बारी के गीत  तो गाये ही बल्कि दूसरी टीम से जो वे नहीं गा पाये थे ,  वो भी हम सुना रहे थे । इस प्रकार हमें बोनस अंक भी मिल रहे थे । अब हम प्रथम स्थान पर चल रहे थे । अंतिम राउंड टी वी वाला था । एक गीत गुमराह फिल्म का "चलो एक बार फिर से अजनबी बन जायें हम दोनों" टी वी पर दिखाया गया। जिस टीम को बताना था , वो नहीं बता पायी तो अगली टीम को बताना था । कोई नहीं बता पाया । जब हमारा नंबर आया तो हमने सुना दिया । सब लोगों में हमारा सिक्का जम गया । हमें इस सबजेक्ट का प्रोफेसर मान लिया गया ।  हम दस अंक समय आगे हो गये थे । अब केवल एक गाना और टी वी पर दिखाना शेष था । अब हमारे हारने की संभावनाएं समाप्त हो चुकी थीं । हमने अपना गीत तो पहचान ही लिया साथ में फिर से पांच अंक बोनस के और अर्जित कर लिए । अब हम पंद्रह अंक आगे थे । 


आयोजकों ने निर्णय सुना दिया । हम विजेता बनकर उभरे ।‌ अलवर वाली टीम उप विजेता रही। हमारे विद्यार्थियों ने हमें अपने कंधे पर उठा लिया और पूरे हॉल का एक चक्कर काटा । श्रेष्ठ गायकी का पुरस्कार निर्विवाद रूप से अलवर टीम को गया । पुरुस्कार के रूप में टाइटन की दो रिस्ट वाच ( मेल , फीमेल ) दी गई जो आज भी हमारे पास रखीं हैं । 


दूसरे दिन कॉलेज में हमारी प्रसिद्धि एक गायक कलाकार के रूप में हो गई। विद्यार्थियों ने हमें घेर लिया । कंधे पर उठाकर पूरे कालेज का एक चक्कर काटा । फिर हमसे पार्टी मांगी गई । हम लोग मिडवे में गये । दो ढाई सौ लड़के लड़की साथ थे । वहां पर अंत्याक्षरी प्रतियोगिता पुनः हुई जिसमें एक पक्ष लड़कों का दूसरा लड़कियों का था और हमें अंपायर बना दिया गया । प्रतियोगिता अनिर्णीत रही । दोनों पक्ष बराबर रहे । अब हमसे गाना सुनाने की फरमाइश प्रारंभ हुई । लड़कों को तो हमने शांत कर दिया लेकिन लड़कियां मानने वाली नहीं थी । हमने एक गीत " नदियां चले चले रे धारा , चंदा चले चले रे तारा , तुझको चलना होगा " स्वर्गीय मन्ना डे साहब का जो मुझे बेहद पसंद है सुना दिया । लड़कियां बिफर गई । ऐसा वाला नहीं । हमने पूछा कैसा वाला चाहिए तो बोली " पल पल दिल के पास तुम रहती हो " ऐसा वाला सुनाइए । 


उस दिन मुझे महसूस हुआ कि लड़कों को समझाना बहुत आसान है लेकिन लड़कियों को ? बाप रे बाप । भगवान बचाए । बड़ी मुश्किल से राजेश खन्ना का एक गीत " जिंदगी एक सफर है सुहाना" गा कर पीछा छुड़ाया । थोड़े दिनों बाद मेरा चयन प्रशासनिक सेवाओं में हो गया और हमने बहरोड़ छोड़ दिया ।


इस प्रकार अंत्याक्षरी सीरीज समाप्त हुई । 


हरिशंकर गोयल "हरि"


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4 Comments

Seema Priyadarshini sahay

16-Jan-2022 10:31 PM

बहुत बढ़िया

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Hari Shanker Goyal "Hari"

16-Jan-2022 11:58 PM

धन्यवाद जी

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🤫

14-Jan-2022 10:32 AM

Nicely written

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Hari Shanker Goyal "Hari"

14-Jan-2022 11:06 AM

धन्यवाद जी

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